शुभकामनायें.

आप सभी भगवान के भक्तों को पितृपक्ष की हार्दिक शुभकामनायें । पितृपक्ष में आपके पितरों का आशीर्वाद आप सभी के जीवन को हर प्रकार की खुशियों से भर दे ।।

Wednesday 28 September 2016

याद रखें : राम सिंहासन पाठक : Ram Singhansan Patak

याद रखें !
आप सर्वशक्तिमान की सत्ता की सर्वोत्कृष्ट कृति हैं ! आप की रचना के पीछे एक असीम रहस्य है ! आप के अंशो पर संसार को सजाने एवं सवारने का गुरुतर भार है  ! आप विश्वगुरु के अंकों में पलने वाले नौनिहाल हैं ! आप संसार के सामान्य जन से भिन्न हैं ! आप मात्र आहार निद्रादिक हेतु ही यहाँ अवतरित नहीं हुए हैं ! रोटी, कपडा और मकान , औरत, दौलत और औलाद तक ही आपकी यह मंगलमयी यात्रा सीमित नहीं है ! आतंकवादी एवं उग्रवादी बनकर समाज के शोषण के लिए ही आप यहाँ नही आये हैं ! असामाजिक तत्वों के पोषण एवं दानवत्व को परिवर्धित करना ही आपका लक्ष्य नहीं है ! कुरीतियों एवं कुव्यवस्थाओं के प्रचार प्रसार में सहयोगी या सहभागी बनना ही आपका आदर्श नहीं है ! विशिष्ट प्रकार के तंत्रों के व्याज से राष्ट्र और समाज को विखंडित करना ही आपका उद्देश्य नहीं है ! अस्तु !

आइये और विचारिये
आज निखिल विश्व विघटन एवं विनाश के कगार पर खड़ा है ! एक का दूसरे पर पूर्णतः अविश्वास बढ़ता जा रहा है ! उत्तर-दक्षिण , पूरब-पश्चिम , जाति-धर्म संप्रदाय , उंच-नीच , शिक्षित-अशिक्षित , ब्राह्मण-हरिजन के नाम पर आपको तोड़ने की साजिश की जा रही है ! सत्तालोलुपों की तादात तरक्की पर है ! धन, धर्म पर हावी होता जा रहा है ! महंगी आसमान छूती जा रही है !सर्वत्र अराज़कता का बोलबाला है ! कपट एवं व्यभिचार का
नग्न-नृत्य हो रहा है ! भाई-भाई के खून का प्यासा है ! कुछ राष्ट्र स्वार्थवश दूसरे राष्ट्रों को हड़पने और अस्थिर करने की साजिश रच रहें हैं ! सीमा-विवाद एवं अतिक्रमण मुंह बाये खड़े हैं ! समाज सेवी एवं शांतिप्रिय संस्थाएं (संयुक्त राष्ट्रसंघ ) मूक और निष्क्रिय हैं ! यह परोक्ष रूप  में बड़े राष्ट्रों का समर्थक हैं ! निष्पक्ष निर्णय करना उनके बस की बात नहीं रह गयी है ! सारे के सारे विवाद दशकों से लंबित हैं ! कुछ राष्ट्रों को विशेष पॉवर (बीटो) मिलने से समस्यांए और जटिल होती जा रही है !

सद्धर्मों एवं सद्वृतियों का संसार लुटता जा रहा है ! अलगाववाद आतंकवाद एवं उग्रवाद का बोलबाला बढ़ता जा रहा है !अपहरणवाद ने तो संसार के समक्ष एक भयावह स्थिति उत्पन्न  कर दिया है !चारो तरफ दहशत फैल गई है! राजनेताओं तथा बड़ी ताकतों की सह पाकर अपहर्ता निर्भीक  होते जा रहे हैं !ऐसा लगता है व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है! प्रशासन दम तोड़ रहा है! प्रजातंत्र माखौल बन गया है ! आजादी अभिशाप बन गयी है! पथभ्रष्ट लोग ही पथ प्रदर्शक बने हुए है! चौका और चौकी तथा कथनी और करनी में कोई मेल नहीं है! चमचों की चांदी है !और आरक्षण ,आरक्षण तो देश के विनाश के लिए मुंह  बाये खड़ा है! किन्तु ,क्या  इन सारी समस्याओं के सामने हम घुटने टेक देंगे? हार मान लेंगे? आत्म समर्पण कर देंगे? नही-नहीं कदापि नही|

हम वीरों के वंशज हैं , मातृभूमि के सच्चे  सपूत हैं  | हम किसी सिकंदर को आगे नहीं बढ़ने देंगे! उसके हौसले पस्त कर देंगे ! हम उसके विश्व विजय के स्वप्न को साकार नहीं होने देंगे! हमारा चन्द्रगुप्त आगे आएगा चाणक्य सचिव पद संभालेगा |हम प्रताप हैं प्रताप ! घास की रोटियां खायेंगे कंकड़ पत्थर पर  सोयेंगे , परंतु किसी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं करेंगे | अपनी मातृभूमि की  रक्षा के लिए राणा झाला और भामा बनेंगे हम शिवाजी,  तात्या टोपे, लक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर, खुदीराम कुंवर निशान आदि वीरों के वंशज हैं ! हँसते हँसते फांसी के फंदे पर लटक जायेंगे ! तोप के सामने छाती अड़ा देंगे किन्तु अमर शहीदों गाँधीत्रय एवं शास्त्री के बलिदानों को व्यर्थ नही जाने देंगे ! स्वदेश के साथ ही विश्व को  सजाने एवं सवारने में कोई कोर कसर नहीं रखेंगे ! अलगाववाद , उग्रवाद और आतंकवाद का सफाया कर देंगे ! अपहर्ताओ के हौंसले पस्त कर देंगे ! देश और समाज को सुव्यवस्थित और सुसज्जित करने के लिए एडी -छोटी का पसीना एक कर देंगे ! जयचंदों एवं मानवंशियों की दुरभि संधि को कुचल देंगे ! चमचों की चांदी को मिटटी में मिला देंगे ! शासन एवं प्रशासन के शुद्धिकरण के लिए पूर्ण मनोयोग से कार्य करेंगे ! सभी प्रकार के वाद-विवाद का अंत कर पुनः बासमती बहार लायेंगे ! सपनों का संसार सजायेंगे ! आरक्षण को सात समुन्दर पार भगा देंगे ! भारत को भूमि का स्वर्ग बनायेंगे !
आइये देश की एकता और अखंडता का संकल्प लें ! 

Sunday 25 September 2016

देश स्वर्ग हो जाये : इंदिरा गाँधी सहादत के अवसर पर ; बहन इन्दिरा. INDIRA GANDHI SAHADAT :

चेत करो आतंकवादियों
भारत कि आत्मा कि हत्या करने वाले ओ देशद्रोहियों
चेत करो आतंकवादियों

इंदिरा जी की निर्मम हत्या भारत माता कि हत्या है
भारत माता की हत्या क्या ? यह मानवता कि हत्या है !
कायरों , निकम्मों,  निशाचरों तुमने कैसा उत्पात किया ?
ओ दुराचारियों कलंकियो क्यों ऐसा वज्राघात किया ?
जिस फॅमिली ने स्वातंत्रय सेतु निर्माण कर दिया सारा है
भारत माँ कि आजादी हित काटा वह कितना कारा है
श्री मोती और जवाहर , कमला विजया सह इंदिरा ने
है कौन कष्ट जो सहा नहीं ?
भारत हित माता इंदिरा ने ,
जीवन का सब वैभव विलास आनंदभवन दे डाला है
जयचंदों से अब सावधान हो जाओ प्यारे देशवासियों
चेत करो आतंकवादिओं
था कौन जनता उस दिन कि , काली रजनी मिट जाएगी
भागेंगे अँगरेज़ और चांदनी यहाँ खिल जाएगी
ले रिस्क उन्होंने काम किया जब गाँधी ने ललकारा था
भारत माँ को आजाद किया अंग्रेजो को दुत्कारा था
जब हुई प्रधान इंदिरा तो दुनिया ने ख़ुशी मनाई थी
“पाठक” कहते हैं भारत माँ भी फूली नही समायी थी
खिल गयी देश कि कली कली बागो में गज़ब बहार हुई
तुम मानवंशियों से सतर्क हो जाओ प्यारे देशवासिओं
चेत करो आतंकवादिओं
है कौन प्रगति का कार्य आज जिसको इंदिरा ने किया नही ?
हैं कौन बिंदु जिसको उसने है पूरा अब तक किया नहीं .
गोवध को बंद कराया है फिर मद्यनिषेध कराया है
नहरों सड़को और बिजली का क्या नहीं जाल विछ्वाया है
प्रिवी पर्सो का उन्मूलन राष्ट्रीयकरण बैंकों का
बीससुत्री कार्यक्रम का भी लक्ष्य हो रहा पूरा है
तिलक दहेज़ प्रथा पर भी उसने प्रतिबन्ध लगाया है
क्रिमिनल नक्सल और चोरों को क्या नही जेल भिजवाया है ?
खाद्यान्न पेयजल का उसने भरपूर प्रबंध कराया है
परमाणु अस्त्र बनवाया है बंगला आज़ाद कराया है
गोरी गजनी चंगेज़ खान से सजग रहो ओ देशवासियों
चेत करो आतंकवादियों ..
राष्ट्र की महासभा में उसने ही ललकारा है
दीनो दलितों और पिछड़ों को भी उसने खूब उद्धारा है
परिवार नियोजन पुण्य कितना सफल बनाया है
श्रम और शक्ति के महामंत्र से सबको सजग कराया अहि
पाकिस्तानी का दम तोडा चीनियों का साहस पस्त किया
प्रत्येक क्षेत्र में भारत को क्या आगे नही बढाया है
नदियाँ बाँधी फैक्टोरियां खुली विद्युत् का भी निर्माण किया
रेल डाक कि कौन कहा रॉकेट तलक तो उडवाया
अमरीकी सातवे बेड़े को उसने ही तो लौटाया है
उसके ही पैन्टन टैंको को किस भांति यहाँ रौन्दाया है
ओ सावधान , ओ आत्मघातियों चेत करो आतंकवादियों
राष्ट्रिय एकता हित जिसने है अपना प्राण गवाया
सामाजिक समरसता हित उसने अपना सर्वस्व गवाया
आये मिलकर नमन करे हम श्रद्धा सुमन चढ़ाएं
इंदिरा जी की अमर कहानी जन जन तक पहुचाएं
जन जन तक पहचाएं जिससे देश स्वर्ग हो जाये
आपस का तज भेद भाव सब भारत सबल बनाये
भारत सबल बनाये जिससे घात न होने पाए
घात न होने पाए और विश्वास न खोने पाए
अब भी करो प्रयास साथियों
चेत करों आतंकवादियों


Saturday 24 September 2016

बहन इन्दिरा : कविता इंदिरा गाँधी, SISTER INDIRA :


बहन इन्दिरे ! तेरे दर्शन से अघ-ओघ नशाये
निज लिंगप्पा  कि हस्ती क्या जो तुमसे टकराए

आज तुम्हारा शासन पाकर हम सब धन्य हुए हैं
मानवता के सघन कुञ्ज में आज अनन्य हुए हैं

नेहरु कि सच्ची पुत्री हो रण चंडी बन जाओ
 मुरार आदि को कर परास्त कर जगज्जयी पद पाओ

 पिता जवाहर से जिसके हों दादा मोती जैसे
माता हो जिसकी कमला सी जग न झुके फिर कैसे ?

बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने किया कमाल गज़ब है !
प्रमुदित कहती जनता सारी विश्व हो गया अमिय है

दश सूत्री कार्यक्रम लेकर आगे बढती जाओ
समाजवाद का स्वप्न सभी साकार त्वरित दिखलाओ

राष्ट्रसंघ का तेरा भाषन घर घर गूँज रहा है
पाक-अमेरिका चीन आदि का बैभव डोल रहा है

सभी तरह से देश हमारा आज महान हुआ है
नेतृत्व तुम्हारा देश आज देश सुख संपन्न किया है

पाक रवैये के विरुद्ध तूने जो कार्य किये हैं
राजनीति के नेत्री वर्ग सही करार किये हैं

प्रिवी पर्सो का उन्मूलन का स्वागत सब करते हैं
अटल विहारी भाई भी स्वागत इसका करते हैं

आशा है मतदान यज्ञ में विजय तुम्हारी होगी
विश्वास हमारा दृढ़ यह है सरकार तुम्हारी होगी  



आरक्षण एक असाध्य रोग - समीक्षात्मक चिंतन ।। Aarakshan Ek Asadhya Rog - Chintan.

आरक्षण एक असाध्य रोग - समीक्षात्मक चिंतन ।।

पण्डित श्री राम सिंघासन पाठक ।।

 प्रश्न  उठता है ,
 आरक्षण क्यों ? किसके लिए ? और कब तक ? लगता है विदेशी हुक्मरानों ने जब ऐसा महसूस किया होगा  कि  भारतीय अब बिना आज़ादी के मानने वाले नहीं हैं, अब किसी भय या भुलावे में आकर अपनी मांग से विचलित होने वाले नहीं हैं, तब उन लोगों  ने भारत को तोड़ने के तहत आरक्षण और विभाजन के लिए दलितों और मुसलमानों को उकसाया होगा ।।

मांगे जोर पकड़ने लगी, बातें यहाँ तक बढ़ गयी कि मात्र १० करोड से भी  कम मुसलमानों की आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले जिन्ना प्रधानमंत्री पद से कम पर राज़ी ही नहीं हो रहे थे । इस प्रकार अंग्रेजी हुक्मरानों ने जाते जाते  भी देश को जातीयता और साम्प्रदायिकता की आग में इस प्रकार झोंक दिया कि वह आज भी बुरी तरह जल रहा है ।।

हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख , ईसाई - आपस में हैं भाई भाई का नारा सिर्फ कहने और सुनने को ही  रह गया है । विवश होकर पाकिस्तान का बंटवारा तो करना ही पड़ा वो भी आधा अधूरा ही । जब  मुसलमान  हिंदुस्तान में और हिन्दू पाकिस्तान में रह ही गए तो पाकिस्तान के बंटवारे से क्या 
लाभ ?

मैं  तमाम राजनीतिक पुरोधाओं से पूछना चाहता हूँ, कि इस बंटवारे का क्या औचित्य था ? जिन सिक्खों ने हिंदुत्व  की  रक्षा के लिए  "पञ्च ककार " जैसे कठिन व्रत को धारण किया  था ,कितनी कुर्बानियां दी  थी आज वे भी अपने आप को हिन्दू धर्म से भिन्न समझने और अलग राज्य खालिस्तान कि मांग करने लगे ।।

अब आप विचार कीजिये आरक्षण पर, 
क्या आरक्षण भारत के सर्वनाश के लिए कैंसर या उससे भी बढकर कोई ऐसा असाध्य रोग नहीं जो जीव  की  मृत्यु के अलावे कुछ और शर्त पर न माने ? भगवान ऐसे लोगों को थोड़ी तो सद्बुद्धि दें ताकि मानव हित के लिये कुछ तो करें ।।क्या आरक्षण के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं था जिससे दलितों और पिछडों के जीवन स्तर में अपेक्षित सुधार लाया जा सके ? क्या हरिजनों में सबके सब गरीब ही थे  और सवर्णों में सबके सब अमीर ही ? क्या अमीर -गरीब हर समय हर जाति, धर्म और संप्रदाय में नहीं रहे हैं और नही रहेंगे ? क्या अमीरी-गरीबी या अन्य विषमतायें अपने पूर्व जन्मों  के कर्मों का फल नहीं ? क्या आपकी  पांचो  ऊँगलियां बराबर  हैं ? क्या आपके सभी  पुत्र एक समान रूप ,रंग एवं योग्यता रखते  हैं ? क्या कर्माकर्म  का कोई महत्व नही ? मेरा हर वर्ण , जाति , धर्म और संप्रदाय के समझदार एवं राष्ट्रवादी विचारधारा वाले नेताओं पदाधिकारियों तथा आम जनता से आग्रह है कि वे इस जहरीली व्यवस्था पर  गंभीरता से विचार करें ! यदि आरक्षण से ही समानता  लाई  जा सकती हो तो पहले वे अपने परिवार के सभी सदस्यों में एकरूपता क्यों नहीं ला देते !
माना आप की यह धारणा शत प्रतिशत सही है कि आरक्षण ही एक ऐसी व्यवस्था है जिससे देश वासिओं के जीवन स्तर में आमूल सुधार लाया जा सकता है तो क्या आप यह बताने का प्रयास कर सकते  हैं  कि आपके हिंदुस्तान में कितनी जातियां है और संख्या कितनी है ? शत प्रतिशत आरक्षण देकर भी क्या आप सभी जातियों को आरक्षण का लाभ दे सकते हैं ? समानता ला सकते हैं ! नहीं नहीं नहीं  ! कभी नहीं  ! इससे केवल अंग्रेजों  के उद्देश्य की  पूर्ति कर सकते हैं ! फूट डालो राज करो ! जनता को बेवकूफ बनाओ वाली नीति आंशिक रूप से सफल हो सकती है ! यदि सफल हो भी जाये तो उन सवर्णों का क्या होगा ? क्या वो इस देश के नागरिक नहीं हैं? क्या उन्हें जीने का अधिकार नही है ? क्या उन्हें आजीवन ३२ दांतों के बीच में जीभ  की  तरह जीने को विवश रहना पड़ेगा ? क्या यही संविधान का समता मूलक अधिकार है ? जिन सवर्णों ने  आज़ादी की  लड़ाई में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था  ! यदि अपनी मानसिक संकीर्णता को छोड़कर देश के भाग्य विधाता लोग निष्पक्ष विचार करें  कि   आज़ादी की  लड़ाई यूँ तो सभी जातियों एवं सम्प्रदायों के लोगों ने लड़ी थी जो शैक्षिक एवं आर्थिक दृष्टि से  संपन्न  थे !उनमें अधिकांश लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से  ब्रिटिश शासन में साझेदार थे ! ज़मींदारों ने ही "जमींदारी प्रथा का नाश हो" का नारा बुलंद किया था !
अंग्रेजी हुकूमत में भी जिन्हें सभी प्रकार की सुख सुविधाएँ प्राप्त थी वे या उनकी संतानों ने ही पहले आज़ादी का नारा बुलंद किया ! जेल यातनायें सही !दर दर की  ठोकरे खायीं ! अंगरेजी  हुक्मरानों के कोड़े की  मार सही !क्या इसी लिए  कि  आज़ादी के बाद भारत पुनः अंग्रेजी विचारधारा का पोषक बनकर आपस में लडेगा ? छिन्न भिन्न होगा ! अस्तु ! 

तत्कालीन संविधान निर्माताओं ने कुछ प्रतिशत एवं सीमित समय के लिये आरक्षण की व्यस्था की थी जो एक प्रकार से प्रशंसनीय नहीं तो निंदनीय भी नहीं थी ,किन्तु उसका नाजायज लाभ उठा कर आरक्षण का प्रतिशत और समय सीमा सुरसा के मुख की तरह बढाई जाने लगी ! एकपक्षीय विचारधारा वाले राजनीतिज्ञों ने वोटबैंक की राजनीति से न्याय-व्यवस्था  को दूषित कर ही दिया ! आरक्षण को स्थाई कर के सम्पूर्ण भारत को गृहयुद्ध के कगार पर खड़ा कर दिया ! आज देश जातीयता की आग में बुरी तरह जल रहा है ! सभी जाति एवं सम्प्रदायों के लोग अपने लिए आरक्षण   की  माँग करते जा रहे हैं !
है किसी राजनेता या राजनीतिक पार्टी के पास इस रोग की दवा  ? है किसी की  हस्ती जो इसका विरोध करे और यह कहे कि  भाइयों , बाबा साहेब अम्बेदकर  द्वारा निर्मित संविधान की  समय सीमा बहुत पहले ही समाप्त हो चुकी है!अब  उसके विस्तार की  वकालत कर क्या आप  तत्कालीन संविधान निर्माताओं का अपमान नहीं कर रहे हैं ? उनके स्वर्णीम सपनों  को दु:स्वप्न में  परिवर्तित नहीं कर रहे हैं ? भारत की भोली-भाली जनता को ठग नहीं रहे हैं ?धोखा नही दे रहे हैं ? 

आइये और आरक्षण के असाध्य रोग से देश को बचाइए ! 
भारत के भविष्य को  संवारिये !
 इसे भूमि का स्वर्ग बनाइये ! 
विदेशियों के फूट डालो और राज्य करो की नीति को विफल बनाइये ! 

तमाम राजनीतिज्ञों , विधायकों , पार्षदों सांसदों , प्रधान मंत्री सहित मुख्यमंत्रियों, विचारकों एवं देशप्रेमियों तथा भोली-भाली भारतीय जनता से मेरा आग्रह है कि वे समवेत स्वर से आरक्षण का विरोध करें एक ऐसी नीति का निर्धारण हो जिसमे नागरिकों को चरित्रवान , विद्वान , और राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत होने का प्रावधान हो ! विभिन्न संस्थाओं में नियुक्ति और प्रोन्नति का आधार योग्यता हो ,जातीयता नही ! शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश के पूर्व छात्रों एवं अभिभावकों की  बौद्धिक एवं वैचारिक जांच ली जाये ! आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों को हर क्षेत्र में आर्थिक सहायता का प्रावधान हो ! राजनीति में प्रवेश या चुनाव की  प्रक्रिया में आमूल परिवर्तन हो ! निर्वाचन आयोग ,संविधान संशोधन के माध्यम से बहुपार्टीयों की  परिपाटी समाप्त करे ! नौकरी की तरह चुनाव लड़ने वालों की  भी आयु सीमा , योग्यता तथा राष्ट्रीयता को आधार बनाया जाये ! अनिष्ट तत्वों एवं बाहुबलियों  का  राजनीति में प्रवेश निषेध हो !दंड-प्रक्रिया सबके लिए समान हो !न्याय पैसे पर न बिके ! पेंशन और वेतन नीति सर्वत्र और सबके लिए समान हो !

 अंत में एक बार फिर देश के दुश्मन आरक्षण  को सदा सर्वदा के लिए देश से भगाने के लिए हमलोग दृढ़ संकल्प लें ! 



मित्रों, आप सभी भगवान के भक्तों को धनतेरस एवं दिपावली की हार्दिक शुभकामनायें । दिपावली में माता महालक्ष्मी का आशीर्वाद आप सभी के जीवन को हर प्रकार की खुशियों से भर दे ।।