शुभकामनायें.

आप सभी भगवान के भक्तों को पितृपक्ष की हार्दिक शुभकामनायें । पितृपक्ष में आपके पितरों का आशीर्वाद आप सभी के जीवन को हर प्रकार की खुशियों से भर दे ।।

Sunday 3 July 2016

एक परिचय पंडित श्री राम सिंघासन पाठक !! About Pandit Shri Ram Singhasan Pathak Ji.

एक परिचय पंडित श्री राम सिंघासन पाठक !! About Pandit Shri Ram Singhasan Pathak Ji.
लेखक का परिचय !!
परम आदरणीय पंडित श्री राम सिंघासन पाठक का जन्म ६ अप्रैल १९३२ को बिहार राज्य के तत्कालीन शाहाबाद जिला के पाठक सेमरी ग्राम में हुआ था ! पिता का नाम स्वर्गीय तपेश्वरी पाठक तथा माता का नाम फुलेश्वरी देवी था !!

इनकी पत्नी का नाम स्वर्गीय रामप्यारी देवी है ! आप साहित्याचार्य, साहित्यालंकार, धर्मविशारद और STC की उपाधि से विभूषित  हैं ! शिक्षक के रूप में प्रथम नियुक्ति प्रधानाध्यापक के पद पर श्री सदाशिव संस्कृत विद्यालय भदौला (कूदरा, शाहाबाद ) में जुलाई , १९५५ में हुई थी !!

जहाँ आप ३० जून १९५६ तक रहे ! तत्पश्चात अमर शहीद श्री निशांत सिंह के प्रपोत्र स्वर्गीय ज्वाला प्रसाद सिंह (मुखिया ) के विशेष आग्रह पर निशान सिंह माध्यमिक विद्यालय , बड्डी में १ जुलाई १९५६ से ३१ मार्च १९६२ तक अध्यापन कार्य संपन्न किया !!

पुनः , १ अप्रैल १९६२ निशान सिंह स्मारक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निशाननगर बड्डी (तत्कालीन शाहाबाद , वर्तमान रोहतास ) में कार्यरत रहे ! विद्यालय के विधिवत संचालित, पल्लवित, पुष्पित एवं फलान्वित होने के पश्चात् स्वेच्छा से विद्यालय परित्याग कर आदर्श उच्च विद्यालय समहुता में योगदान किया !!

विद्यालय के सरकारी करण के बाद २३ मार्च. १९८२ को राजकीय इंटर सह उच्च विद्यालय सासाराम में कार्यरत रहकर ३० अप्रैल १९९२ को सेवानिवृत हुए !!

 विशिष्ट सेवा !
१)रायपुर चोर, संस्कृत विद्यालय  को पुनर्जीवित करना !!
२)श्री सदाशिव संस्कृत विद्यालय भदौला को वितसहित स्वीकृति प्रदान करवाना !!
३)निशान सिंह स्मारक उच्चतर माध्यमिक को स्थापित तथा स्वीकृत करवाने में कठिनतम परिश्रम !!

अध्यापन के अतिरिक्त लेखों एवं कविताओं के लेखन में आपकी रूचि रही है ! राजकीय इंटर कॉलेज सासाराम द्वारा प्रकाशित "अरुण" के प्रधान संपादक के रूप में कार्य !!

प्रकाशित निबंध "याद रखें" , संस्कृत में "स्मरन्तु", कविता "कामना" , और अन्य अप्रकाशित ढेर सारी कवितायेँ , निबंध - आरक्षण , मितव्ययिता आदि !!

इसके अतिरिक्त समाज सेवा में इनकी विशेष भागीदारी रही ! चाहे वह पैतृक गाँव पाठक सेमरी के लिंक रोड को पक्का बनवाना हो या १९६४ से ही गाँव में विद्युत् सेवा उपलब्ध करवाना, आप सभी में नेतृत्वकर्ता रहे !!

पने गाँव का द्वार बनवाया और गाँव के द्वार पर एक सुन्दर मंदिर का भी निर्माण करवाया ! आप वर्तमान में भी संस्कृत की सेवा में कार्यरत हैं और श्री हनुमत संस्कृत प्राथमिक सह माध्यमिक विद्यालय गोतहर रोहताश के संचालक हैं !!


!अस्तु !!

आपकी अंतिम इच्छा देश में रामराज्य की कल्पना को साकार करना है ! अयोध्या में श्री राम मंदिर बने और दर्शन लाभ मिले यही आपकी अंतिम इच्छा है !!

संपर्क सूत्र : 9955247971.
email- panditrampathak@gmail.com

Saturday 2 July 2016

तुम दर्द भरी बातों का कहना बंद करो ! by Ram Singhasan Pathak


तुम दर्द भरी बातों का कहना बंद करो !

सुनकर जलता है ह्रदय हाय
जलते हैं जीवन के सपने
जलती है जीवन की आशा
मिटते जाते दृढ़-पथ अपने !
मन मंदिर के आराध्य देव का ध्यान करो !
तुम दर्द भरी बातों का कहना बंद करो !!

यह जीवन नौका बीच जलधि से गुजर रही
है चतुर्दिशाये खड़ी किन्तु बस ताक रही !
तुम भी कुछ धीरज धरो तात, मत क्रंद करो
तुम दर्द भरी बातों का कहना बंद करो !!


चेत करो आतंकवादियों : chet karo aatankwadiyo by Ram Singhasan Pathak

चेत करो आतंकवादियों !

भारत की  आत्मा की  हत्या
करने वाले देशद्रोहियों ! चेत करो ....
जिस भारत ने निखिल विश्व
को शांति का सन्देश दिया !
जिस भारत ने भीमार्जुन
सम महावीर बलवान दिया !!
उस भारत की  ओर बढे जो  
तोड़ो उसकी टांग साथियों !! चेत करो ..
यह भारत भूमि हमारी है  !
इस पर क्यों नजर तुम्हारी है !
विष्णु चरण से निकल निकल
शिव जटा समाती हुई यहाँ !
बहती गंगा की धारा है
इसपर क्यों नज़र  तुम्हारी है ?
उसकी ओर कुदृष्टि करे जो  
फोड़ो उसकी आँख साथियों ! चेत करो ... !!इति !!




बसंत सह गणतंत्र दिवस

 कामना


सह वसंत गणतंत्र दिवस के !
मधुर-मिलन को पाकर     !!

धन्य  हो गए भारत वासी
सुखद स्वप्न को पाकर !!

मणि कांचन सहयोग न सब दिन !
सब कोई पाता है !!

निशि शशांक का मिलन महद
आनंद दान करता है !!

आये "मिल कर अभिनन्दन "
कर धन्य धन्य हो जाएँ !!

आयें सुख सौभाग्य मनाएं !
जीवन सफल बनायें !!

पूजन-वंदन अर्चन से !
नव शक्ति सदा सरसायें !!

स्वागत करें उभय उत्सव का !
मिलकर मोद मनायें!!
इति !!


लेखक : श्री राम सिंघासन पाठक 

बापू : Bapu by Ram Singhasan Pathak



कह रही भारती है पुकार
हा! हा! बापू  तू कहा गया कहाँ ?
तेरी स्वतंत्रता बिलख रही
हा ! रामराज्य अब हुआ कहाँ ?
भारत को पूर्व सुखी करने का
तूने था संकल्प लिया !!
फिर रामराज्य के बदले में
यह काम राज्य क्यों दिखलाया ?
भ्रष्टाचारो की लगी झड़ी
गृह कलह यहां पर फ़ैल रहा !!
और मंत्री यात्रा भत्ते में
राजकोष सब लुटा रहे !!
महँगी अम्बर को छूती है

जनता सब भूखों मरती हैं ...


लेखक: श्री राम सिंघासन पाठक 

समर : भारत-पाक युद्ध के सन्दर्भ में Indo-Pak Battle by Ram Singhasan Pathak

समर : भारत-पाक युद्ध के सन्दर्भ में


छिड़ रहा समर है अति दुरंत  हो गया पाक हमलावर है 
देता है चीन उधर धमकी स्थिति अत्यंत भयंकर है 

चेत करो अब चेत करो 
रिपु सीमा पर ललकार रहा 

जाग पड़ो अब जाग पड़ो 
भीषण भुजंग फुफकार रहा 

रे आगे बढ़ के ललकारो 
शत्रु का काम तमाम करो 

उसकी बेरहमी के बदले 
उसकी मर्यादा भंग करो 

दौड़ो दौड़ो जल्दी दौड़ो 
अब नही बिलम्ब सुहाता है 

रावलपिंडी के शासन का 
अब पाया शीघ्र उखाड़ता है 

कर चूका बहुत है अनाचार 
वह दुष्ट अयूब कहा भगा 

क्या दुर्योधन की नाई वह 
छिपने को सरवर में भागा !

ओ भीम उठाओ शीघ्र गदा 
ओ अर्जुन ललकारो उसको 

ओ कृष्णा शीघ्र दौड़ो देखो 
माता कुंती का कष्ट हरो 

उस दुर्योधन अयूबी का 
संहार शीघ्र कर दो भैया 

फहरा दो राष्ट्र तिरंगा को 
आशीष देगी भारत मैया 

ओ राम उठाओ धनुष बाण 
ओ लखन धरो तुम शेषबाण 

ओ जम्बुवान ओ हनुमान 
पर्वत पहाड़ को लो उखाड़ 

पाक-चीन संयुक्त चुनौती 
लंका शीघ्र जलाना है 

हिमगिरी के शिखरों पे चढ़ा 
अपना झंडा फहराना है 

बढ़ना है केवल बढ़ना है 
लड़ना है केवल लड़ना है 

चढ़कर अब गरुंडध्वज रथ पर 
जय पाकर ही रहना है  ! 

ओ पुरुषो कुम्भज बन जाओ 
नारियों सुकन्या शीघ्र बनो  ! 

रिपुसेना समुन्दर को पीकर 
हे लाल बहादुर लाल बनो !

इति !!

लेखक : श्री राम सिंघासन पाठक

अनुशासन : Discipline by Ram Singhasan Pathak

अनुशासन : Discipline by Ram Singhasan Pathak

अनुशासन वह ज्योति की जिससे 
जगमग जग करता है 
उसका पातक उसका पोषक 
चमक-चमक रहता है 

अनुशासन वह वस्तू की 
जिसका साक्षी है प्रत्यक्ष दिवाकर 
रात रात भर चमक चमक कर 
ड्यूटी करता नित्य निशाकर 

इसलिए तो ब्यूटी बन कर 
जन-मन हर लेता है 
ग्रीष्म तप्त जगती तल में 
वह सुधा बाँट देता है ! 

यदि चाहते इस दुनिया में 
अपना नाम कमाना 
कौम देश और समाज में 
उज्जवल ज्योति जगाना ! 

तब तो हे प्रिय विश्वबन्धुओ 
अनुशासन को अपनाना !!

नियम पूर्वक सोना जागना 
पढना सब कुछ करना !!

अनुशासन से भारत भूमि में 
स्वर्ग उतर आएगा ! 
भारत भारती का पूर्ण रूप 
से भाग्य बदल जायेगा ! 

सर्वे भवन्तु सुखिनः !
सर्वे सन्तु निरामया ! 
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु ! 
स्वप्न पूर्ण हो जायेगा !!
इति !!


लेखक : श्री  राम सिंघासन पाठक

आओ करें प्रयास एकता का हे प्यारे देशवासियों : Unity by Ram Singhasan Pathak

आओ करें प्रयास एकता का हे प्यारे देशवासियों : Unity by Ram Singhasan Pathak

आओ करें प्रयास एकता का हे प्यारे देशवासियों . 
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध जैन धर्मावलम्बियों ..
अल्ला अकबर राम कृष्ण
और बुद्ध जैन में भेद नहीं है 
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण 
भू माता के अंग सभी हैं
जब सूर्य चन्द्र और अनिल अनल 
जल थल सबके प्यारे हैं 
जब अन्न दुग्ध फल मूल कंद 
सबको सबसे प्यारे हैं
तब भेद भाव का प्रश्न कहाँ 
हिन्दू मुस्लिम का प्रश्न कहाँ 
बौद्ध जैन का प्रश्न कहाँ
पूरब पश्चिम का प्रश्न कहाँ
सोंचो समझो सही ढंग से 
आत्मा की आवाज सुनो 
आत्मा की आवाज भला क्या 
परमात्मा का आदेश सुनो 
नानक कबीर जायसी तुलसी 
रसखान रसिक की सुनो साथियों ..
आओ करें ...............
सब धर्मो का सार सत्य है 
सबका विश्वास अहिंसा पर
शांति सर्वोपरि तप है तब 
होते अशांत क्यों मनुवंशियों 
आओ करें ....
दुनिया  में धर्म  एक  ही  है 
जो  मानव  धर्म  कहाता है !
सब  धर्मो का सार यही है 
तमसो माँ  ज्योतिर्गमय !!
असदो माँ सद्गमय 
मृतं माँ अमृतंगमय !!
है ऐसा कोई धर्म कहे जो 
ज्योतिर्मा तमसो गमय 
असदोगमय मृतं गमय !!
यदि हाँ तो खूब लड़ो आपस में 
और नहीं तो क्यों लड़ते हो , बोलो मेंरे सगे साथियों 
खाओ कसम अल्लाह , इश्वर की 
राम कृपा ईसा मसीह की 
लो संकल्प की नही आयेंगे 
बहकावे में विभीषण के 
जयचंदों के गद्दारों के 
देशद्रोहियों नक्कारों के 
जिनका लक्ष्य विखंडित करना 
भारत की आत्मा को 
क्यों नही बैठ करते विचार 
हो एक साथ हे देशवासियों 
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई 
बौद्ध जैन धर्मावलम्बियों !
आओ करें प्रयास ....

विश्वगुरु भारत प्रगति में क्यों पीछे रह जाये . 
उद्योग निरत भारतवासी कुछ करतब नया दिखाएँ ! 
ऐसा करें प्रयत्न की फिर से भाग्य-भानु जग जाये 
आओ करें प्रयास एकता का हे प्यारे देशवासियों 
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई बुद्ध जैन धर्मावलम्बियों !

Author: Ram Singhasan Pathak

Friday 1 July 2016

लेखक परिचय : पंडित श्री राम सिंघासन पाठक

लेखक परिचय : पंडित श्री राम सिंघासन पाठक
लेखक का परिचय :
लेखक का जन्म ६ अप्रैल १९३२ को बिहार राज्य के तत्कालीन शाहाबाद जिला के पाठक सेमरी ग्राम में हुआ था ! पिता का नाम स्वर्गीय तपेश्वरी पाठक तथा माता का नाम फुलेश्वरी देवी है  ! इनकी पत्नी का नाम स्वर्गीय रामप्यारी देवी है ! आप साहित्याचार्य , साहित्यालंकार , धर्मविशारद और STC की उपाधि से विभूषित  हैं ! शिक्षक के रूप में प्रथम नियुक्ति प्रधानाध्यापक के पद पर श्री सदाशिव संस्कृत विद्यालय भदौला (कूदरा , शाहाबाद ) में जुलाई , १९५५ में हुई थी ! जहाँ आप ३० जून १९५६ तक रहे ! तत्पश्चात अमर शहीद श्री निशांत सिंह के प्रपोत्र स्वर्गीय ज्वाला प्रसाद सिंह (मुखिया ) के विशेष आग्रह पर निशान सिंह माध्यमिक विद्यालय , बड्डी में १ जुलाई १९५६ से ३१ मार्च १९६२ तक अध्यापन कार्य संपन्न किया ! पुनः , १ अप्रैल १९६२ निशान सिंह स्मारक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निशाननगर बड्डी (तत्कालीन शाहाबाद , वर्तमान रोहतास ) में कार्यरत रहे ! विद्यालय के विधिवत संचालित , पल्लवित , पुष्पित एवं फलान्वित होने के पश्चात् स्वेच्छा से विद्यालय परित्याग कर आदर्श उच्च विद्यालय समहुता में योगदान किया !विद्यालय के सरकारी करण के बाद २३ मार्च. १९८२ को राजकीय इंटर सह उच्च विद्यालय सासाराम में कार्यरत रहकर ३० अप्रैल १९९२ को सेवानिवृत हुए !

 विशिष्ट सेवा !
१)रायपुर चोर , संस्कृत विद्यालय  को पुनर्जीवित करना !
२)श्री सदाशिव संस्कृत विद्यालय भदौला को वितसहित स्वीकृति प्रदान करवाना !
३)निशान सिंह स्मारक उच्चतर माध्यमिक को स्थापित तथा स्वीकृत करवाने में कठिनतम परिश्रम !

अध्यापन के अतिरिक्त लेखों एवं कविताओं के लेखन में आपकी रूचि रही है ! राजकीय इंटर कॉलेज सासाराम द्वारा प्रकाशित "अरुण " के प्रधान संपादक के रूप में कार्य ! प्रकाशित निबंध "याद रखें" , संस्कृत में "स्मरन्तु", कविता "कामना" , और अन्य अप्रकाशित ढेर सारी कवितायेँ , निबंध - आरक्षण , मितव्ययिता आदि !

इसके अतिरिक्त समाज सेवा में इनकी विशेष भागीदारी रही ! चाहे वह पैतृक गाँव पाठक सेमरी के लिंक रोड को पक्का बनवाना हो या १९६४ से ही गाँव में विद्युत् सेवा उपलब्ध करवाना , आप सभी में नेतृत्वकर्ता रहे ! आपने गाँव का द्वार बनवाया और गाँव के द्वार पर एक सुन्दर मंदिर का भी निर्माण करवाया ! आप वर्तमान में भी संस्कृत की सेवा में कार्यरत हैं और श्री हनुमत संस्कृत प्राथमिक सह माध्यमिक विद्यालय गोतहर रोहताश के संचालक हैं !
अस्तु !
आपकी अंतिम इच्छा देश में रामराज्य की कल्पना को साकार करना है ! अयोध्या में श्री राम मंदिर बने और दर्शन लाभ मिले यही आपकी अंतिम इच्छा है ! 

रांची : सौंदर्य

रांची : दमस फॉल रांची का एक दृश्य

है भारत की गौरव पूर्ण 
नगरी एक विशाला 
रांची जिसमे मन रांची है 
भारत की नरलीला 
उन्नत मस्तक के हुए 
है खडी सुरमा पहाड़ी पर 
जिसकी शोभा निरख निरख 
मन उड़ता है विमानों पर 
इसका दक्षिण भाग परम 
पावन मनहर दिखलाता है 
ए जी ऑफिस हटिया का 
कारखाना परम सुहाता है 
पञ्च मंजिला रत्न मंडित 
बिल्डिंग बड़ी निराली 
प्रकृति जहाँ शोभा सरसाती 
मधु-पराग बिखराती 
मत्त कोकिला कु कु करती 
नृत्य मोरनी करती 
कांके नेतरहाट की हुन्डरु 
मेडिकल कला प्रवीणा 
शस्य श्यामला भू पर है 
नीलाम्बर आसीना 
हटिया धुर्वा गोड्डा की 
चमक दमक मन हरती 
अवनी और अम्बर के 
सेंटर में सेंटर करती 
ए जी के उस ऑफिस में हैं करते काम हज़ार 
सत्यमेव और भारत माँ की लीला अपरम्पार 
दोनों मित्र बड़े प्यारे हैं और हैं जिम्मेदार 
मनसा वचसा करते हैं वे सेवा खुशबूदार 
ए जी हैं के पी सिंह भी एक बड़े सेनानी 
भारती जी के परम मित्र और बड़े निराले दानी 

"पाठक" मिले मित्रों से तब हुए बड़े खुशहाल 
ए जी के बिजी कार्यों से कलम हुयी बेहाल !!


सन :जून ,१९६४ इसवी 

कहो कहो हे तुलसी बाबा : जगद्बंद्य श्री राम कहाँ हैं ?

कहो कहो हे तुलसी बाबा  : जगद्बंद्य श्री राम कहाँ हैं ?


कहो कहा हे तुलसीबाबा जगद् वन्द्य श्री राम कहा हैं ?
भक्त जनों के भव-भय भंजन मुनियों के आराम कहाँ हैं ?
खड़े चतुर्दिश अहंकार
छल छद्म द्वेष इर्ष्या हैं
करते नंगा नाच आंच में
जलते सारे  जन हैं !!
बोलो बोलो जल्दी बोलो जगाद्बंद्य श्रीराम कहा हैं

सीता रूपी भारत माता जयमाल लिए है सिसक रही
दुष्ट मंडली धनुष तोड़ने को हैं आतुर दीख रही
पाठक विश्वामित्र बताओ तेरे चेले राम कहा कहाँ हैं
कहो कहो ...

वैदेशिक ताड़का और सुबाहु सब यज्ञ भ्रष्ट कर रहे आज
बूढ़े विश्वामित्र संत अवधेश द्वार हैं खड़े आज
हे कुलगुरु पाठक बतला दो दानी दशरथ आराम कहा हैं ?
कहो कहो ...

बाली बलियों की चोट खाय कितने सुग्रीव तड़पते हैं
शबरी गिद्ध जटायु जैसे भक्त अनेक तड़पते हैं
शीघ्र बताओ हे हुलसी सूत संतो के श्री राम कहाँ हैं ?
कहो कहो ...

रोती स्वतंत्रता सी सीता व्याकुल भक्तों का मन है
भारत की यह भूमि बन रही लंका का उपवन है
कहा गए हनुमान राम मन मानस के आराम कहा हैं ?
कहो कहो ...

घूसखोरी सुरसा मुह फैला सज्जन हनुमत को निगल रही
महँगी लंकिनी भी डांट डांट कर हनुमत का पथ रोक रही
तुम भी तुलसी जल्द बताओ भक्तों के आराम कहा हैं ?
कहो कहो ...

त्रेता का रावण गया किन्तु इस युग में बहुतेरे हैं
कुम्भकर्ण घननाद और अहिरावण बहुतेरे हैं
रावण मर्दन असुर निकंदन भक्तो के आराम कहाँ हैं ?
कहो कहो ...

भारत के सब धर्म कर्म वर लुप्त आज ही दीख रहे
अनाचार व्यभिचार रह गया संत शत्रु सब बिहंस रहे
हे भरद्वाज तुलसी भुसुंडी शिव बतलादे आराम कहा है ?
कहो कहो ...
भक्त जनों के भव भय भंजन मुनियों के आराम कहा हैं !!इति !!
लेखक : श्री राम सिंघासन पाठक

कविता : एकता

कविता : एकता

आओ फिर से नए सिरे से
पुनः विचार किया जाये
भेद भाव सब छोड़ छाड़ कर
हिल-मिल यहाँ रहा जाये
ऐसा करें प्रयास की सारा
कल्मष-तम हट जाये
ऐसा करे प्रयत्न की
भारत भूमि स्वर्ग बन जाये
नफरत-घृणा द्वेष ईर्ष्या से
रिक्त रखे वसुधा को
काम क्रोध लोभादि मोह से
दूर-रखे सबहीं को
ऐसा करे प्रयत्न की निश्छल
जन समाज हो जाये
ऐसा करें ...
जात-पात का भेद मिटा
दानवता दूर भगाएं
आतंकवाद अपहरणवाद का
नाम निशान मिटायें
जन समाज को अभयदान
दें अमरत्व सदा सरसायें
ऐसा करें प्रयत्न की नया
वर्ष अब मंगलमय हो जाये
शासक शासित संबंधो को
इस भू समान  मिटायें
राम राज्य का स्वप्न सभी
साकार त्वरित दिखलायें
हेड टेल का भेद मिटा
धरती को स्वर्ग बनायें
ऐसा करें ...
नही किसी को छुट बहुत हो
नही किसी पर भार बहुत
सत्कर्तार: हों सम्मानित
सद्धर्मी सदा पुरस्कृत
कुत्सित तत्वों का विनाश
सदवृतियों से संसार सजाएँ !!
ऐसा करे ...

लेखक : राम सिंघासन पाठक 

इंदिरा गाँधी के शहादत के अवसर पे !

इंदिरा गाँधी के शहादत के अवसर पे !



कविता :
राजनीती के दीप्त व्योम का टुटा एक सितारा
राजनीती के दीप्त क्षितिज पर हैं चहुँ ओर  अँधेरा

राजनीती के धराधाम पर छाई घोर निराशा
राजनीती के रंगमंच पर करती नृत्य निराशा

विश्व शांति रो रही आज अपना सर्वस्व गवां कर
विश्व शांति दम तोड़ रही है मन में सिसक सिसक कर

हे शक्ति अब क्या होगा ? हे महा लक्ष्मी अब क्या होगा ?
हे हे दुर्गे अब क्या होगा? हे सरस्वती अब क्या होगा ?
भारत माता तू कहाँ गयी ? शारदा पुत्री तू कहा गयी ?
भारत रत्ने तू कहा गयी ? हे हे इन्दिरे तू कहा गयी ?
हे हे रविन्द्र की  कोमलते !
हे हे बापू की  बत्सलते !
हे हे कमला की शीतलते !
हे हे नेहरु की आत्मियते !
हे रणचंडी इतना बतला
हे सिंह गर्जिनी इतना बतला
हे मृदुभाषिणी हे युग धर्मिणी !
हे युग कर्मिणी इतना बतला !
अब विश्व शांति का क्या होगा ?
गुट निरपेक्ष राष्ट्र का क्या होगा ?
अब चीन पाक का क्या होगा ?
अभी की नीति का क्या होगा ?
परमाणु नीति का क्या होगा ?
आतंकवाद का क्या होगा ?
समर नीति का क्या होगा?
राजनीती का क्या होगा ?


लेखक : पंडित श्री राम सिंघासन पाठक 

Indira Gandhi

इंदिरा गाँधी

भारते मध्य भागे हि प्रयागो नगरं महत
सिंतासित तरंगिणयाः तटे यत समवस्थितम !!१!!

तस्मिन् पुरे दविजकुले भवदेकविप्र
मोते सुपुत्रः स-ही भूमि भुसना !!२!

नाम्ना जवाहर इति विदितस्तू विश्वे
पतिव्रतासीद कमला सुकांता !!३!!

एकोंविसति शततमे दशसप्त उत्तरे
एकोनाविंशतिः तिथौ सुनवम्बरे हि
तस्मिन् कुले मुद प्रियदर्शिनी सा
माँ इंदिरास्माकं देश रक्षिका !!४!!

बादान समूल मुन्मुल्य कृतार्चनाया
शान्त्या समृध्या सह शासनम कृता !!५!!

विश्वे प्रसिद्ध्या गुण ज्ञान युक्ता
तामिन्दिराम नः प्रणतः स्म सर्वदा !!६!!

तस्याः लक्ष्यमिदमासित भारतं समृद्धं भवेत्!
भेद-भावस्य बीजास्तु न बिर्मेयु: कदाचन!!७!!

भ्रातृभावं सुमैत्रयम सततं सफलं भवेत !
शहीदाना स्वप्नं सर्वं साकार त्वरितं भवेत् !!८!!

देशस्य एवताये  मा तथा सर्व समृध्ये !
प्राणोत्सर्ग कृताया तां नमामः नः पुनः पुनः !!९!!

पंडित जी अपनी स्वर्गीय पत्नी के साथ


मित्रों, आप सभी भगवान के भक्तों को धनतेरस एवं दिपावली की हार्दिक शुभकामनायें । दिपावली में माता महालक्ष्मी का आशीर्वाद आप सभी के जीवन को हर प्रकार की खुशियों से भर दे ।।