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Friday 1 July 2016

कहो कहो हे तुलसी बाबा : जगद्बंद्य श्री राम कहाँ हैं ?

कहो कहो हे तुलसी बाबा  : जगद्बंद्य श्री राम कहाँ हैं ?


कहो कहा हे तुलसीबाबा जगद् वन्द्य श्री राम कहा हैं ?
भक्त जनों के भव-भय भंजन मुनियों के आराम कहाँ हैं ?
खड़े चतुर्दिश अहंकार
छल छद्म द्वेष इर्ष्या हैं
करते नंगा नाच आंच में
जलते सारे  जन हैं !!
बोलो बोलो जल्दी बोलो जगाद्बंद्य श्रीराम कहा हैं

सीता रूपी भारत माता जयमाल लिए है सिसक रही
दुष्ट मंडली धनुष तोड़ने को हैं आतुर दीख रही
पाठक विश्वामित्र बताओ तेरे चेले राम कहा कहाँ हैं
कहो कहो ...

वैदेशिक ताड़का और सुबाहु सब यज्ञ भ्रष्ट कर रहे आज
बूढ़े विश्वामित्र संत अवधेश द्वार हैं खड़े आज
हे कुलगुरु पाठक बतला दो दानी दशरथ आराम कहा हैं ?
कहो कहो ...

बाली बलियों की चोट खाय कितने सुग्रीव तड़पते हैं
शबरी गिद्ध जटायु जैसे भक्त अनेक तड़पते हैं
शीघ्र बताओ हे हुलसी सूत संतो के श्री राम कहाँ हैं ?
कहो कहो ...

रोती स्वतंत्रता सी सीता व्याकुल भक्तों का मन है
भारत की यह भूमि बन रही लंका का उपवन है
कहा गए हनुमान राम मन मानस के आराम कहा हैं ?
कहो कहो ...

घूसखोरी सुरसा मुह फैला सज्जन हनुमत को निगल रही
महँगी लंकिनी भी डांट डांट कर हनुमत का पथ रोक रही
तुम भी तुलसी जल्द बताओ भक्तों के आराम कहा हैं ?
कहो कहो ...

त्रेता का रावण गया किन्तु इस युग में बहुतेरे हैं
कुम्भकर्ण घननाद और अहिरावण बहुतेरे हैं
रावण मर्दन असुर निकंदन भक्तो के आराम कहाँ हैं ?
कहो कहो ...

भारत के सब धर्म कर्म वर लुप्त आज ही दीख रहे
अनाचार व्यभिचार रह गया संत शत्रु सब बिहंस रहे
हे भरद्वाज तुलसी भुसुंडी शिव बतलादे आराम कहा है ?
कहो कहो ...
भक्त जनों के भव भय भंजन मुनियों के आराम कहा हैं !!इति !!
लेखक : श्री राम सिंघासन पाठक

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