कह रही भारती है पुकार
हा! हा! बापू तू कहा गया कहाँ ?
तेरी स्वतंत्रता बिलख रही
हा ! रामराज्य अब हुआ कहाँ ?
भारत को पूर्व सुखी करने का
तूने था संकल्प लिया !!
फिर रामराज्य के बदले में
यह काम राज्य क्यों दिखलाया ?
भ्रष्टाचारो की लगी झड़ी
गृह कलह यहां पर फ़ैल रहा !!
और मंत्री यात्रा भत्ते में
राजकोष सब लुटा रहे !!
महँगी अम्बर को छूती है
जनता सब भूखों मरती हैं ...
लेखक: श्री राम सिंघासन पाठक
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