शुभकामनायें.

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Friday 1 July 2016

इंदिरा गाँधी के शहादत के अवसर पे !

इंदिरा गाँधी के शहादत के अवसर पे !



कविता :
राजनीती के दीप्त व्योम का टुटा एक सितारा
राजनीती के दीप्त क्षितिज पर हैं चहुँ ओर  अँधेरा

राजनीती के धराधाम पर छाई घोर निराशा
राजनीती के रंगमंच पर करती नृत्य निराशा

विश्व शांति रो रही आज अपना सर्वस्व गवां कर
विश्व शांति दम तोड़ रही है मन में सिसक सिसक कर

हे शक्ति अब क्या होगा ? हे महा लक्ष्मी अब क्या होगा ?
हे हे दुर्गे अब क्या होगा? हे सरस्वती अब क्या होगा ?
भारत माता तू कहाँ गयी ? शारदा पुत्री तू कहा गयी ?
भारत रत्ने तू कहा गयी ? हे हे इन्दिरे तू कहा गयी ?
हे हे रविन्द्र की  कोमलते !
हे हे बापू की  बत्सलते !
हे हे कमला की शीतलते !
हे हे नेहरु की आत्मियते !
हे रणचंडी इतना बतला
हे सिंह गर्जिनी इतना बतला
हे मृदुभाषिणी हे युग धर्मिणी !
हे युग कर्मिणी इतना बतला !
अब विश्व शांति का क्या होगा ?
गुट निरपेक्ष राष्ट्र का क्या होगा ?
अब चीन पाक का क्या होगा ?
अभी की नीति का क्या होगा ?
परमाणु नीति का क्या होगा ?
आतंकवाद का क्या होगा ?
समर नीति का क्या होगा?
राजनीती का क्या होगा ?


लेखक : पंडित श्री राम सिंघासन पाठक 

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