अनुशासन : Discipline by Ram Singhasan Pathak
अनुशासन वह ज्योति की जिससे
जगमग जग करता है
उसका पातक उसका पोषक
चमक-चमक रहता है
अनुशासन वह वस्तू की
जिसका साक्षी है प्रत्यक्ष दिवाकर
रात रात भर चमक चमक कर
ड्यूटी करता नित्य निशाकर
इसलिए तो ब्यूटी बन कर
जन-मन हर लेता है
ग्रीष्म तप्त जगती तल में
वह सुधा बाँट देता है !
यदि चाहते इस दुनिया में
अपना नाम कमाना
कौम देश और समाज में
उज्जवल ज्योति जगाना !
तब तो हे प्रिय विश्वबन्धुओ
अनुशासन को अपनाना !!
नियम पूर्वक सोना जागना
पढना सब कुछ करना !!
अनुशासन से भारत भूमि में
स्वर्ग उतर आएगा !
भारत भारती का पूर्ण रूप
से भाग्य बदल जायेगा !
सर्वे भवन्तु सुखिनः !
सर्वे सन्तु निरामया !
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु !
स्वप्न पूर्ण हो जायेगा !!
इति !!
लेखक : श्री राम सिंघासन पाठक
अनुशासन वह ज्योति की जिससे
जगमग जग करता है
उसका पातक उसका पोषक
चमक-चमक रहता है
अनुशासन वह वस्तू की
जिसका साक्षी है प्रत्यक्ष दिवाकर
रात रात भर चमक चमक कर
ड्यूटी करता नित्य निशाकर
इसलिए तो ब्यूटी बन कर
जन-मन हर लेता है
ग्रीष्म तप्त जगती तल में
वह सुधा बाँट देता है !
यदि चाहते इस दुनिया में
अपना नाम कमाना
कौम देश और समाज में
उज्जवल ज्योति जगाना !
तब तो हे प्रिय विश्वबन्धुओ
अनुशासन को अपनाना !!
नियम पूर्वक सोना जागना
पढना सब कुछ करना !!
अनुशासन से भारत भूमि में
स्वर्ग उतर आएगा !
भारत भारती का पूर्ण रूप
से भाग्य बदल जायेगा !
सर्वे भवन्तु सुखिनः !
सर्वे सन्तु निरामया !
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु !
स्वप्न पूर्ण हो जायेगा !!
इति !!
लेखक : श्री राम सिंघासन पाठक
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